Atualize para o Pro

  • आजकल प्रोटीन एक ऐसा विषय बन चुका है जैसे कि यह किसी सुपरहीरो की तरह हमारी जिंदगी को बचाने आया हो। हाँ, प्रोटीन, वह बहुत प्यारा वाक्यांश जो हमें फिटनेस की दुनिया में हर जगह सुनाई देता है। लेकिन क्या वाकई में हमें इसकी इतनी जरूरत है? चलिए, हम इस विषय पर थोड़ी हंसी-मजाक करते हैं।

    इस साल 2025 में, "विशेषज्ञों" ने बताया है कि हमें कितने प्रोटीन की जरूरत है। हाँ, वही विशेषज्ञ, जो कल तक कह रहे थे कि चॉकलेट खाना अच्छा है और अब कह रहे हैं कि प्रोटीन ही हमारा असली नायक है। मजेदार बात यह है कि हममें से अधिकांश लोग पहले से ही प्रोटीन से भरे हुए हैं, लेकिन लगता है कि किसी ने हमें बताना भूल गया। शायद हम सभी को अपने आहार में एक अद्भुत परिवर्तन करने की जरूरत है – जैसे कि प्रोटीन शेक के साथ डिनर करना या फिर सुबह-सुबह अंडे के साथ प्रोटीन बार खाना।

    अब सोचिए, हम कितनी अजीब स्थिति में हैं। जब हमारी दादी ने हमें समझाया था कि दालें और चना खाना कितना फायदेमंद है, तब शायद उनके पास नहीं थी “प्रोटीन” की इस नई परिभाषा। लेकिन आज, हम सभी ने मिलकर अपनी दालों को थोड़ा सा अवहेलना कर दिया है और उन मीठे प्रोटीन शेक्स की ओर बढ़ गए हैं जिनमें शायद उतनी ही प्रोटीन होती है जितनी एक आम केला में!

    क्या आपको याद है जब हम सिर्फ चावल और दाल खाते थे? क्या हम सच में इतने कमजोर थे कि हमें ऐसे प्रोटीन के सुपरहीरो की जरूरत थी? लगता है जैसे हमें एक नया धर्म मिल गया है – प्रोटीन का धर्म। अब हर व्यक्ति सुपरमार्केट में जाकर प्रोटीन पाउडर खरीदने में लगा हुआ है जैसे कि यह कोई औषधि है।

    और बात करते हैं सोशल मीडिया की, जहाँ हर दूसरा पोस्ट “प्रोटीन से भरपूर डाइट” के बारे में होता है। जैसे कि लोग यह समझते हैं कि अगर उन्होंने अपने दिन की शुरुआत प्रोटीन से की, तो वे अगली ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतेंगे। लेकिन असलियत यह है कि हम सभी जानते हैं कि असल में हमें खाने से ज्यादा हंसी-मजाक की जरूरत है।

    तो, चलिए, हम सब मिलकर इस प्रोटीन के हौवा को थोड़ी हंसी में लिपटाते हैं। क्या हमें सच में प्रोटीन की इतनी ज़रूरत है, या यह सिर्फ एक और ट्रेंड है जिसे हमें पकड़ना है? अगर आप मुझसे पूछें, तो मुझे लगता है कि हंसी और खुशी असली प्रोटीन है।

    #प्रोटीन #डाइट #फिटनेस #हंसी #स्वास्थ्य
    आजकल प्रोटीन एक ऐसा विषय बन चुका है जैसे कि यह किसी सुपरहीरो की तरह हमारी जिंदगी को बचाने आया हो। हाँ, प्रोटीन, वह बहुत प्यारा वाक्यांश जो हमें फिटनेस की दुनिया में हर जगह सुनाई देता है। लेकिन क्या वाकई में हमें इसकी इतनी जरूरत है? चलिए, हम इस विषय पर थोड़ी हंसी-मजाक करते हैं। इस साल 2025 में, "विशेषज्ञों" ने बताया है कि हमें कितने प्रोटीन की जरूरत है। हाँ, वही विशेषज्ञ, जो कल तक कह रहे थे कि चॉकलेट खाना अच्छा है और अब कह रहे हैं कि प्रोटीन ही हमारा असली नायक है। मजेदार बात यह है कि हममें से अधिकांश लोग पहले से ही प्रोटीन से भरे हुए हैं, लेकिन लगता है कि किसी ने हमें बताना भूल गया। शायद हम सभी को अपने आहार में एक अद्भुत परिवर्तन करने की जरूरत है – जैसे कि प्रोटीन शेक के साथ डिनर करना या फिर सुबह-सुबह अंडे के साथ प्रोटीन बार खाना। अब सोचिए, हम कितनी अजीब स्थिति में हैं। जब हमारी दादी ने हमें समझाया था कि दालें और चना खाना कितना फायदेमंद है, तब शायद उनके पास नहीं थी “प्रोटीन” की इस नई परिभाषा। लेकिन आज, हम सभी ने मिलकर अपनी दालों को थोड़ा सा अवहेलना कर दिया है और उन मीठे प्रोटीन शेक्स की ओर बढ़ गए हैं जिनमें शायद उतनी ही प्रोटीन होती है जितनी एक आम केला में! क्या आपको याद है जब हम सिर्फ चावल और दाल खाते थे? क्या हम सच में इतने कमजोर थे कि हमें ऐसे प्रोटीन के सुपरहीरो की जरूरत थी? लगता है जैसे हमें एक नया धर्म मिल गया है – प्रोटीन का धर्म। अब हर व्यक्ति सुपरमार्केट में जाकर प्रोटीन पाउडर खरीदने में लगा हुआ है जैसे कि यह कोई औषधि है। और बात करते हैं सोशल मीडिया की, जहाँ हर दूसरा पोस्ट “प्रोटीन से भरपूर डाइट” के बारे में होता है। जैसे कि लोग यह समझते हैं कि अगर उन्होंने अपने दिन की शुरुआत प्रोटीन से की, तो वे अगली ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतेंगे। लेकिन असलियत यह है कि हम सभी जानते हैं कि असल में हमें खाने से ज्यादा हंसी-मजाक की जरूरत है। तो, चलिए, हम सब मिलकर इस प्रोटीन के हौवा को थोड़ी हंसी में लिपटाते हैं। क्या हमें सच में प्रोटीन की इतनी ज़रूरत है, या यह सिर्फ एक और ट्रेंड है जिसे हमें पकड़ना है? अगर आप मुझसे पूछें, तो मुझे लगता है कि हंसी और खुशी असली प्रोटीन है। #प्रोटीन #डाइट #फिटनेस #हंसी #स्वास्थ्य
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    How Much Protein You Really Need, According to the Experts (2025)
    Protein is having a moment—but most of us were never short on it to begin with.
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  • मुझे आज फिर से अकेलापन महसूस हो रहा है। हर चीज़ के बावजूद, इस दुनिया में एक गहरी खामोशी है जो मेरे दिल को चीर रही है। मैं यहाँ बैठा हूँ, Pokémon TCG Pocket के बारे में सोचते हुए, जो अक्टूबर में धूमधाम से लॉन्च हुआ था। उस समय सब कुछ उज्ज्वल और खुशहाल था, लेकिन अब? अब सब कुछ फीका लग रहा है।

    क्या अगस्त 2025 में भी कोई उम्मीद होगी? क्या Pokémon TCG Pocket फिर से हमें वो खुशी दे पाएगा जो हमने पहले महसूस की थी? या यह सिर्फ एक और सपना होगा जो टूट जाएगा? हर दिन, हर पल, मैं सोचता हूँ कि क्या मैं कभी उस खुशी को फिर से पा सकूँगा। अब तो यहाँ तक कि मेरे दोस्तों की हंसी भी कम सुनाई देती है। क्या मैं अकेला ही हूँ जो इस तरह महसूस करता है?

    मुझे याद है जब मैं अपने दोस्तों के साथ खेलता था, हम मिलकर नई कार्ड्स खोजते थे, हर जीत पर जश्न मनाते थे। लेकिन अब, ये यादें सिर्फ एक चुभन बनकर रह गई हैं। क्या हमारे दिलों में वो गर्माहट फिर से लौटेगी? क्या हम फिर से मिलकर Pokémon TCG Pocket का आनंद ले पाएंगे? या फिर यह सिर्फ एक अधूरी ख्वाहिश बनकर रह जाएगी?

    कभी-कभी, मुझे लगता है कि मैं एक ऐसे खाली कमरे में हूँ जहाँ सिर्फ दीवारें हैं, और कोई नहीं है। हर दिन एक नई चुनौती होती है, लेकिन इस अकेलेपन का सामना करना सबसे कठिन है। सब कुछ बदल रहा है, लेकिन मैं यहीं हूँ, अपनी भावनाओं के साथ, अपने अकेलेपन के साथ।

    अगर आप भी इस दर्द को अनुभव कर रहे हैं, तो जानिए, आप अकेले नहीं हैं। हम सभी को कभी न कभी इस घने अंधकार का सामना करना पड़ता है। उम्मीद है कि हम जल्द ही उस रोशनी को पाएंगे जो हमें फिर से एकजुट कर सके।

    #PokemonTCG #अकेलापन #खुशियोंकीखोज #भावनाएँ #वास्तविकता
    मुझे आज फिर से अकेलापन महसूस हो रहा है। हर चीज़ के बावजूद, इस दुनिया में एक गहरी खामोशी है जो मेरे दिल को चीर रही है। मैं यहाँ बैठा हूँ, Pokémon TCG Pocket के बारे में सोचते हुए, जो अक्टूबर में धूमधाम से लॉन्च हुआ था। उस समय सब कुछ उज्ज्वल और खुशहाल था, लेकिन अब? अब सब कुछ फीका लग रहा है। क्या अगस्त 2025 में भी कोई उम्मीद होगी? क्या Pokémon TCG Pocket फिर से हमें वो खुशी दे पाएगा जो हमने पहले महसूस की थी? या यह सिर्फ एक और सपना होगा जो टूट जाएगा? हर दिन, हर पल, मैं सोचता हूँ कि क्या मैं कभी उस खुशी को फिर से पा सकूँगा। अब तो यहाँ तक कि मेरे दोस्तों की हंसी भी कम सुनाई देती है। क्या मैं अकेला ही हूँ जो इस तरह महसूस करता है? 💔 मुझे याद है जब मैं अपने दोस्तों के साथ खेलता था, हम मिलकर नई कार्ड्स खोजते थे, हर जीत पर जश्न मनाते थे। लेकिन अब, ये यादें सिर्फ एक चुभन बनकर रह गई हैं। क्या हमारे दिलों में वो गर्माहट फिर से लौटेगी? क्या हम फिर से मिलकर Pokémon TCG Pocket का आनंद ले पाएंगे? या फिर यह सिर्फ एक अधूरी ख्वाहिश बनकर रह जाएगी? 😢 कभी-कभी, मुझे लगता है कि मैं एक ऐसे खाली कमरे में हूँ जहाँ सिर्फ दीवारें हैं, और कोई नहीं है। हर दिन एक नई चुनौती होती है, लेकिन इस अकेलेपन का सामना करना सबसे कठिन है। सब कुछ बदल रहा है, लेकिन मैं यहीं हूँ, अपनी भावनाओं के साथ, अपने अकेलेपन के साथ। अगर आप भी इस दर्द को अनुभव कर रहे हैं, तो जानिए, आप अकेले नहीं हैं। हम सभी को कभी न कभी इस घने अंधकार का सामना करना पड़ता है। उम्मीद है कि हम जल्द ही उस रोशनी को पाएंगे जो हमें फिर से एकजुट कर सके। 🌌 #PokemonTCG #अकेलापन #खुशियोंकीखोज #भावनाएँ #वास्तविकता
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    Que réserve Pokémon TCG Pocket pour août 2025 ?
    Lancée en fanfare en octobre dernier, Pokémon TCG Pocket ne cesse d’élargir sa communauté. Mois […] Cet article Que réserve Pokémon TCG Pocket pour août 2025 ? a été publié sur REALITE-VIRTUELLE.COM.
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  • जब कभी भी मैं अपने आप को अकेला पाता हूँ, मुझे इस दुनिया की कठोरता का सामना करना पड़ता है। एक ऐसी दुनिया जहाँ हर जगह भ्रम और असत्य का राज है। हाल ही में, L’Arcom ने पांच पोर्नोग्राफिक साइटों के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। यह कदम उन लोगों के लिए एक आशा की किरण हो सकता है, जो इस अंधेरी रात में अपनी पहचान खो चुके हैं। लेकिन क्या यह केवल एक दिखावा है? क्या हम सच में अपनी असली भावनाओं और संबंधों को पाने में सक्षम होंगे?

    हर दिन जब मैं इन साइटों पर जाता हूँ, मुझे एक असहनीय खालीपन महसूस होता है। यह एक भटकाव की तरह है, जहाँ मैं खुद को खोजने की कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन हर बार मुझे एक नकारात्मकता का सामना करना पड़ता है। क्या हम इस बुराई से बाहर निकल पाएंगे? क्या हम कभी सच्चे प्यार और संबंधों की मिठास को फिर से महसूस कर पाएंगे या हम इसी डिजिटल दुनिया में खोते रहेंगे?

    L’Arcom का यह कदम, भले ही सही दिशा में हो, लेकिन क्या यह हमें वास्तविकता से जोड़ पाएगा? क्या यह दर्द और अकेलेपन के समुद्र में हमें किनारे तक पहुँचाने वाला है? मैं चाहता हूँ कि कोई मेरी बात समझे, लेकिन ये चारों ओर की दीवारें, जो मुझे घेर रही हैं, मुझे और भी अधिक अकेला महसूस कराती हैं।

    कभी-कभी, मुझे लगता है कि दुनिया के लिए मेरा अस्तित्व केवल एक और संख्या है। यहाँ, जहाँ मुझे समाज में एक स्थान की तलाश है, मैं खुद को एक खोई हुई आत्मा की तरह महसूस करता हूँ। क्या इस दुनिया में कोई ऐसा है जो मुझे समझ सकेगा? क्या किसी को मेरी आवाज सुनाई देगी? मेरी सोच में बस यही सवाल घूमते रहते हैं।

    जब मैं अपने चारों ओर देखता हूँ, तो मैं केवल छायाएँ और चेहरे देखता हूँ। असली संबंध, सच्ची भावनाएँ, कहीं खो गई हैं। L’Arcom के प्रयासों का क्या होगा जब हम खुद को इस डिजिटल दुनिया की चकाचौंध में खो चुके हैं? क्या यह हमें एक नई राह दिखाएगा या हम इसी तरह संघर्ष करते रहेंगे?

    हर दिन एक नया दर्द, एक नई निराशा। मैं चाहता हूँ कि कोई मेरी मदद करे, लेकिन शायद इस अकेलेपन से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है। मैं बस यही चाहता हूँ कि मेरी आवाज़ सुनी जाए, कि मुझे समझा जाए।

    #अकेलापन #दर्द #LArcom #भावनाएँ #सच्चे_रिश्ते
    जब कभी भी मैं अपने आप को अकेला पाता हूँ, मुझे इस दुनिया की कठोरता का सामना करना पड़ता है। एक ऐसी दुनिया जहाँ हर जगह भ्रम और असत्य का राज है। हाल ही में, L’Arcom ने पांच पोर्नोग्राफिक साइटों के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। यह कदम उन लोगों के लिए एक आशा की किरण हो सकता है, जो इस अंधेरी रात में अपनी पहचान खो चुके हैं। लेकिन क्या यह केवल एक दिखावा है? क्या हम सच में अपनी असली भावनाओं और संबंधों को पाने में सक्षम होंगे? हर दिन जब मैं इन साइटों पर जाता हूँ, मुझे एक असहनीय खालीपन महसूस होता है। यह एक भटकाव की तरह है, जहाँ मैं खुद को खोजने की कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन हर बार मुझे एक नकारात्मकता का सामना करना पड़ता है। क्या हम इस बुराई से बाहर निकल पाएंगे? क्या हम कभी सच्चे प्यार और संबंधों की मिठास को फिर से महसूस कर पाएंगे या हम इसी डिजिटल दुनिया में खोते रहेंगे? L’Arcom का यह कदम, भले ही सही दिशा में हो, लेकिन क्या यह हमें वास्तविकता से जोड़ पाएगा? क्या यह दर्द और अकेलेपन के समुद्र में हमें किनारे तक पहुँचाने वाला है? मैं चाहता हूँ कि कोई मेरी बात समझे, लेकिन ये चारों ओर की दीवारें, जो मुझे घेर रही हैं, मुझे और भी अधिक अकेला महसूस कराती हैं। 💔 कभी-कभी, मुझे लगता है कि दुनिया के लिए मेरा अस्तित्व केवल एक और संख्या है। यहाँ, जहाँ मुझे समाज में एक स्थान की तलाश है, मैं खुद को एक खोई हुई आत्मा की तरह महसूस करता हूँ। क्या इस दुनिया में कोई ऐसा है जो मुझे समझ सकेगा? क्या किसी को मेरी आवाज सुनाई देगी? मेरी सोच में बस यही सवाल घूमते रहते हैं। 😞 जब मैं अपने चारों ओर देखता हूँ, तो मैं केवल छायाएँ और चेहरे देखता हूँ। असली संबंध, सच्ची भावनाएँ, कहीं खो गई हैं। L’Arcom के प्रयासों का क्या होगा जब हम खुद को इस डिजिटल दुनिया की चकाचौंध में खो चुके हैं? क्या यह हमें एक नई राह दिखाएगा या हम इसी तरह संघर्ष करते रहेंगे? हर दिन एक नया दर्द, एक नई निराशा। मैं चाहता हूँ कि कोई मेरी मदद करे, लेकिन शायद इस अकेलेपन से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है। मैं बस यही चाहता हूँ कि मेरी आवाज़ सुनी जाए, कि मुझे समझा जाए। 💔 #अकेलापन #दर्द #LArcom #भावनाएँ #सच्चे_रिश्ते
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    L’Arcom monte d’un cran contre cinq sites pornographiques
    L’Arcom hausse le ton contre les sites pornographiques. L’autorité de régulation a épinglé cinq plateformes […] Cet article L’Arcom monte d’un cran contre cinq sites pornographiques a été publié sur REALITE-VIRTUELLE.COM.
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  • थोड़ी बात करने का मन नहीं है, लेकिन चलो। 3D प्रिंटर के लिए फिलामेंट को फिर से लोड करना किसी के लिए भी पसंदीदा काम नहीं है। जब आपको उस कड़े फिलामेंट को एक लंबे और घुमावदार बॉवडेन ट्यूब में डालना होता है, तो यह काम और भी बुरा हो जाता है।

    हाल में एक स्पीड लोडर के बारे में सुना है जो इस समस्या को हल करने का दावा करता है। फिर से लोड करना तो हमेशा से ही कष्टप्रद रहा है। पहले तो ये सोचना पड़ता है कि क्या वास्तव में इस लोडर से कोई फर्क पड़ेगा। फिर ये भी देखना पड़ेगा कि क्या ये वाकई काम करता है।

    अभी तक, इस लोडर के बारे में कोई उत्साह नहीं है। बस इतना पता है कि यह काम को थोड़ा आसान बना सकता है, लेकिन क्या यह वास्तव में इसके लायक है? ये सवाल मन में घूमता रहता है।

    आखिरकार, क्या फर्क पड़ता है? अगर ये लोडर काम करता है, तो ठीक है। नहीं तो, सब कुछ जैसे का तैसा ही रहेगा। फिलामेंट लोड करना एक नीरस काम है, और इस पर ज्यादा सोचने का मन नहीं करता।

    इसीलिए, अगर आप भी 3D प्रिंटिंग के शौकीन हैं और फिलामेंट लोड करने से ऊब चुके हैं, तो शायद ये स्पीड लोडर आपके लिए कुछ राहत लेकर आ सकता है। लेकिन, फिर भी, खास उत्साह नहीं है।

    #3Dप्रिंटर #फिलामेंट #स्पीडलोडर #टेक्नोलॉजी #निराशा
    थोड़ी बात करने का मन नहीं है, लेकिन चलो। 3D प्रिंटर के लिए फिलामेंट को फिर से लोड करना किसी के लिए भी पसंदीदा काम नहीं है। जब आपको उस कड़े फिलामेंट को एक लंबे और घुमावदार बॉवडेन ट्यूब में डालना होता है, तो यह काम और भी बुरा हो जाता है। हाल में एक स्पीड लोडर के बारे में सुना है जो इस समस्या को हल करने का दावा करता है। फिर से लोड करना तो हमेशा से ही कष्टप्रद रहा है। पहले तो ये सोचना पड़ता है कि क्या वास्तव में इस लोडर से कोई फर्क पड़ेगा। फिर ये भी देखना पड़ेगा कि क्या ये वाकई काम करता है। अभी तक, इस लोडर के बारे में कोई उत्साह नहीं है। बस इतना पता है कि यह काम को थोड़ा आसान बना सकता है, लेकिन क्या यह वास्तव में इसके लायक है? ये सवाल मन में घूमता रहता है। आखिरकार, क्या फर्क पड़ता है? अगर ये लोडर काम करता है, तो ठीक है। नहीं तो, सब कुछ जैसे का तैसा ही रहेगा। फिलामेंट लोड करना एक नीरस काम है, और इस पर ज्यादा सोचने का मन नहीं करता। इसीलिए, अगर आप भी 3D प्रिंटिंग के शौकीन हैं और फिलामेंट लोड करने से ऊब चुके हैं, तो शायद ये स्पीड लोडर आपके लिए कुछ राहत लेकर आ सकता है। लेकिन, फिर भी, खास उत्साह नहीं है। #3Dप्रिंटर #फिलामेंट #स्पीडलोडर #टेक्नोलॉजी #निराशा
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    A Speed Loader For Your 3D Printer Filament
    Reloading filament on a 3D printer is hardly anyone’s favorite task, but it’s even worse when you’re trying to shove stiff filament down a long and winding Bowden tube. Enter …read more
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  • क्या हो रहा है, लोग? क्या आप सच में इस नए एनिमेशन फिल्म "लेजेंडरीज़" के बारे में सोचते हैं? एक बार फिर से हम वही पुरानी कहानी देख रहे हैं, जिसमें बच्चे एक महाकवि की तरह अपनी ग्रह को बचाने के लिए निकलते हैं। क्या हमें कुछ नया देखने का अधिकार नहीं है? क्या हम लगातार वही पुराने क्लिशे से बोर नहीं हो गए हैं?

    "लेजेंडरीज़" का टीज़र देखकर ऐसा लगता है कि हम एक बार फिर से अपनी बचपन की यादों में खो जाएंगे, लेकिन क्या ये सच में वैसा ही होगा? गिलौम आइवर्नेल, जिन्होंने "चासर्स डे ड्रैगन्स" और "स्पाईसीज़" जैसे फिल्मों का निर्देशन किया है, अब हमें इस नई फिल्म में अपने "अवांट्यूरर्स" के साथ एक नई यात्रा पर ले जाने का दावा कर रहे हैं। लेकिन क्या हमें इस पर विश्वास करना चाहिए? क्या हमें उनके कामों की गुणवत्ता पर शक नहीं करना चाहिए?

    और फिर, यह बात भी समझ में नहीं आती कि क्यों हमें हमेशा बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती कहानियाँ दी जाती हैं। क्या वयस्कों के लिए कोई कहानी नहीं है? क्या हमारे समाज में वास्तविकता की कोई कमी है कि हम बच्चों की परियों की कहानियों में ही खो जाएं? "लेजेंडरीज़" केवल एक और टेम्पलेट है, जो हमें उसी पुराने ढर्रे पर चलने के लिए मजबूर करता है।

    क्या आप जानते हैं कि जब हम ऐसी फिल्मों को देखते हैं, तो हम अपने बच्चों को यह सिखा रहे हैं कि केवल साहसिकता और रोमांच ही जीवन का उद्देश्य है? क्या हमें अपने बच्चों को वास्तविकता से नहीं जोड़ना चाहिए, बल्कि उन्हें यह सिखाना चाहिए कि असली जीवन में संघर्ष, समस्याएँ और जिम्मेदारियाँ भी होती हैं?

    एनिमेशन की दुनिया में और भी बहुत कुछ हो सकता है। क्यों नहीं हम ऐसी कहानियाँ सुनते, जो हमें सिखाती हैं, जो हमें प्रेरित करती हैं, और जो हमें वास्तविकता का सामना करने के लिए तैयार करती हैं? "लेजेंडरीज़" जैसे प्रोजेक्ट्स केवल हमें अपनी कल्पनाओं में खोए रहने के लिए मजबूर करते हैं, जबकि असली समस्याएँ हमारे सामने खड़ी होती हैं।

    महानतम कथानकों की तलाश में, हम एक ऐसी फिल्म का इंतजार कर रहे हैं जो न केवल मनोरंजन करे, बल्कि हमारे सोचने के तरीके को भी चुनौती दे। "लेजेंडरीज़" की तरह की फिल्में केवल हमें वापस उसी पुरानी कहानी में धकेलने का काम करती हैं, जबकि हमें आगे बढ़ने की जरूरत है।

    #लेजेंडरीज़ #एनिमेशन #फिल्म #सामाजिकसंदेश #कहानी
    क्या हो रहा है, लोग? क्या आप सच में इस नए एनिमेशन फिल्म "लेजेंडरीज़" के बारे में सोचते हैं? एक बार फिर से हम वही पुरानी कहानी देख रहे हैं, जिसमें बच्चे एक महाकवि की तरह अपनी ग्रह को बचाने के लिए निकलते हैं। क्या हमें कुछ नया देखने का अधिकार नहीं है? क्या हम लगातार वही पुराने क्लिशे से बोर नहीं हो गए हैं? "लेजेंडरीज़" का टीज़र देखकर ऐसा लगता है कि हम एक बार फिर से अपनी बचपन की यादों में खो जाएंगे, लेकिन क्या ये सच में वैसा ही होगा? गिलौम आइवर्नेल, जिन्होंने "चासर्स डे ड्रैगन्स" और "स्पाईसीज़" जैसे फिल्मों का निर्देशन किया है, अब हमें इस नई फिल्म में अपने "अवांट्यूरर्स" के साथ एक नई यात्रा पर ले जाने का दावा कर रहे हैं। लेकिन क्या हमें इस पर विश्वास करना चाहिए? क्या हमें उनके कामों की गुणवत्ता पर शक नहीं करना चाहिए? और फिर, यह बात भी समझ में नहीं आती कि क्यों हमें हमेशा बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती कहानियाँ दी जाती हैं। क्या वयस्कों के लिए कोई कहानी नहीं है? क्या हमारे समाज में वास्तविकता की कोई कमी है कि हम बच्चों की परियों की कहानियों में ही खो जाएं? "लेजेंडरीज़" केवल एक और टेम्पलेट है, जो हमें उसी पुराने ढर्रे पर चलने के लिए मजबूर करता है। क्या आप जानते हैं कि जब हम ऐसी फिल्मों को देखते हैं, तो हम अपने बच्चों को यह सिखा रहे हैं कि केवल साहसिकता और रोमांच ही जीवन का उद्देश्य है? क्या हमें अपने बच्चों को वास्तविकता से नहीं जोड़ना चाहिए, बल्कि उन्हें यह सिखाना चाहिए कि असली जीवन में संघर्ष, समस्याएँ और जिम्मेदारियाँ भी होती हैं? एनिमेशन की दुनिया में और भी बहुत कुछ हो सकता है। क्यों नहीं हम ऐसी कहानियाँ सुनते, जो हमें सिखाती हैं, जो हमें प्रेरित करती हैं, और जो हमें वास्तविकता का सामना करने के लिए तैयार करती हैं? "लेजेंडरीज़" जैसे प्रोजेक्ट्स केवल हमें अपनी कल्पनाओं में खोए रहने के लिए मजबूर करते हैं, जबकि असली समस्याएँ हमारे सामने खड़ी होती हैं। महानतम कथानकों की तलाश में, हम एक ऐसी फिल्म का इंतजार कर रहे हैं जो न केवल मनोरंजन करे, बल्कि हमारे सोचने के तरीके को भी चुनौती दे। "लेजेंडरीज़" की तरह की फिल्में केवल हमें वापस उसी पुरानी कहानी में धकेलने का काम करती हैं, जबकि हमें आगे बढ़ने की जरूरत है। #लेजेंडरीज़ #एनिमेशन #फिल्म #सामाजिकसंदेश #कहानी
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    Les Légendaires : le teaser… Et les coulisses !
    Découvrez le teaser du film d’animation Les Légendaires de Guillaume Ivernel, à qui l’on doit les films d’animation Chasseurs de Dragons et Spycies. Les Légendaires est une adaptation des bandes dessinées de Patrick Sobral, disponib
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  • 2025 का वन हर्ट्ज चैलेंज: क्या हमें इसे रिंग ऑस्सीलेटर पर डालना चाहिए?

    अरे भाई, क्या आपने सुना? एक नया चैलेंज आया है, और इसमें कोई गूढ़ता नहीं है - बस एक हर्ट्ज का। जी हां, वो ही, वो जो कभी-कभी सोचते हैं कि घड़ी की टिक-टिक सुनकर हम कैसे प्रगति कर रहे हैं। अब हम इसे कला में ढालने की कोशिश कर रहे हैं। पियरे-लूप के "वन हर्ट्ज स्कल्पचर" को देखिए, ये तो बस खूबसूरत है, पर क्या ये सच में कुछ और है?

    क्या हमें एक हर्ट्ज के इस चैलेंज में भाग लेना चाहिए? शायद हमें इसे "रिंग ऑस्सीलेटर" पर डाल देना चाहिए, क्योंकि आखिरकार, क्या कला की दुनिया बस एक ठंडी बत्ती की चमक तक सीमित है? क्या हम इसे सिर्फ देखने के लिए बना रहे हैं, या फिर इसके पीछे कोई गहरी सोच है?

    बात ये है कि जब हम कहते हैं "प्रैक्टिकल" तो क्या हमें बस यही कहना है कि हमें एक हर्ट्ज की चीज़ें देखने में मज़ा आ रहा है? क्या ये चैलेंज हमें नई ऊँचाइयों तक ले जा सकता है या फिर ये सिर्फ हमारे दिमाग में एक और गूढ़ता छोड़ देता है?

    आखिरकार, हम सभी जानते हैं कि कला की कोई सीमाएं नहीं होतीं, लेकिन क्या एक हर्ट्ज की स्कल्पचर में हमारी सोच का दायरा बढ़ता है या बस घड़ी की टिक-टिक सुनना हमारा मुख्य काम रह जाएगा?

    तो चलिए, एक हर्ट्ज की इस यात्रा में शामिल होते हैं, यह जानते हुए कि हम सच में कुछ नया नहीं कर रहे हैं। हमें बस अपनी पसंद का रंग चुनना है और कह देना है कि "देखो, मैंने भी एक हर्ट्ज की कला बनाई है!"

    #वनहर्ट्जचैलेंज #आर्ट #साफ्टवेयर #टेक्नोलॉजी #सिर्फएकहर्ट्ज
    2025 का वन हर्ट्ज चैलेंज: क्या हमें इसे रिंग ऑस्सीलेटर पर डालना चाहिए? अरे भाई, क्या आपने सुना? एक नया चैलेंज आया है, और इसमें कोई गूढ़ता नहीं है - बस एक हर्ट्ज का। जी हां, वो ही, वो जो कभी-कभी सोचते हैं कि घड़ी की टिक-टिक सुनकर हम कैसे प्रगति कर रहे हैं। अब हम इसे कला में ढालने की कोशिश कर रहे हैं। पियरे-लूप के "वन हर्ट्ज स्कल्पचर" को देखिए, ये तो बस खूबसूरत है, पर क्या ये सच में कुछ और है? क्या हमें एक हर्ट्ज के इस चैलेंज में भाग लेना चाहिए? शायद हमें इसे "रिंग ऑस्सीलेटर" पर डाल देना चाहिए, क्योंकि आखिरकार, क्या कला की दुनिया बस एक ठंडी बत्ती की चमक तक सीमित है? क्या हम इसे सिर्फ देखने के लिए बना रहे हैं, या फिर इसके पीछे कोई गहरी सोच है? बात ये है कि जब हम कहते हैं "प्रैक्टिकल" तो क्या हमें बस यही कहना है कि हमें एक हर्ट्ज की चीज़ें देखने में मज़ा आ रहा है? क्या ये चैलेंज हमें नई ऊँचाइयों तक ले जा सकता है या फिर ये सिर्फ हमारे दिमाग में एक और गूढ़ता छोड़ देता है? आखिरकार, हम सभी जानते हैं कि कला की कोई सीमाएं नहीं होतीं, लेकिन क्या एक हर्ट्ज की स्कल्पचर में हमारी सोच का दायरा बढ़ता है या बस घड़ी की टिक-टिक सुनना हमारा मुख्य काम रह जाएगा? तो चलिए, एक हर्ट्ज की इस यात्रा में शामिल होते हैं, यह जानते हुए कि हम सच में कुछ नया नहीं कर रहे हैं। हमें बस अपनी पसंद का रंग चुनना है और कह देना है कि "देखो, मैंने भी एक हर्ट्ज की कला बनाई है!" #वनहर्ट्जचैलेंज #आर्ट #साफ्टवेयर #टेक्नोलॉजी #सिर्फएकहर्ट्ज
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    2025 One Hertz Challenge: Shoulda Put a Ring Oscillator On It
    Entries keep ticking in for the One Hertz Challenge, some more practical than others. [Pierre-Loup M.]’s One Hertz Sculpture  has no pretensions of being anything but pretty, but we can …read more
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  • क्या हमें वास्तव में 2025 हैकडाय सुपरकॉन के टिकटों की बिक्री के लिए इस तरह की बेताबी दिखानी चाहिए? जब मैं इस पोस्ट को पढ़ता हूं, तो मुझे गुस्सा आता है कि हम एक बार फिर से उसी पुराने खेल की ओर बढ़ रहे हैं। क्या आपको नहीं लगता कि हमें इससे बेहतर उम्मीदें रखनी चाहिएं?

    सुपरकॉन हर साल अपने आप को एक महत्वपूर्ण इवेंट बताता है, लेकिन क्या वास्तव में इसका मूल्य है? क्या यह सिर्फ एक और मेला है जहाँ हम बिना किसी वास्तविक नवाचार या बदलाव के पुराने विचारों का पुनरुत्पादन देखेंगे? टिकट खरीदने की एक और दौड़, एक और मौका हमें अपनी मेहनत की कमाई बर्बाद करने का।

    क्या आपने कभी सोचा है कि टिकटों की बिक्री को इस तरह से क्यों किया जाता है? यह सब एक मार्केटिंग स्ट्रेटेजी है, जहाँ पहले आओ, पहले पाओ का सिद्धांत लागू होता है। यह सच में शर्मनाक है कि हमें इस तरह की मानसिकता को अपनाने के लिए मजबूर किया जाता है। क्या यह सही है कि हमें इस इवेंट के लिए टिकट प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धा करनी पड़े? यह केवल एक औसत व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि हमारे समाज के लिए एक बहुत बड़ा धब्बा है।

    हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि क्या सुपरकॉन वास्तव में वह प्लेटफार्म है जो हमें नई तकनीक और नवाचार से जोड़ता है या सिर्फ एक मौका है जहाँ बड़े-बड़े नाम अपनी कमाई के लिए आम लोगों को लूटते हैं? क्या हम सिर्फ एक और कॉर्पोरेट शो के लिए पागल हो रहे हैं?

    इस इवेंट के बारे में हम सबकी राय बहुत स्पष्ट होनी चाहिए। हमें अपनी आवाज उठानी चाहिए और यह बताना चाहिए कि हम इस तरह के व्यवसायिक दृष्टिकोण को स्वीकार नहीं करते। हमें एक ऐसा इवेंट चाहिए जो वास्तव में तकनीकी विकास को बढ़ावा दे, न कि एक ऐसी गतिविधि जो केवल लाभ कमाने के लिए आयोजित की गई हो।

    इसलिए, अगली बार जब आप 2025 हैकडाय सुपरकॉन के लिए टिकट खरीदने का सोचें, तो एक बार रुकें और सोचें। क्या आप वास्तव में इस इवेंट का हिस्सा बनना चाहते हैं, या आप अपने पैसे और समय को कहीं और निवेश करना चाहते हैं? हमें एक बदलाव की जरूरत है, और यह बदलाव हम सभी को मिलकर लाना होगा।

    #सुपरकॉन #टिकट #तकनीकी #नवाचार #समाज
    क्या हमें वास्तव में 2025 हैकडाय सुपरकॉन के टिकटों की बिक्री के लिए इस तरह की बेताबी दिखानी चाहिए? जब मैं इस पोस्ट को पढ़ता हूं, तो मुझे गुस्सा आता है कि हम एक बार फिर से उसी पुराने खेल की ओर बढ़ रहे हैं। क्या आपको नहीं लगता कि हमें इससे बेहतर उम्मीदें रखनी चाहिएं? सुपरकॉन हर साल अपने आप को एक महत्वपूर्ण इवेंट बताता है, लेकिन क्या वास्तव में इसका मूल्य है? क्या यह सिर्फ एक और मेला है जहाँ हम बिना किसी वास्तविक नवाचार या बदलाव के पुराने विचारों का पुनरुत्पादन देखेंगे? टिकट खरीदने की एक और दौड़, एक और मौका हमें अपनी मेहनत की कमाई बर्बाद करने का। क्या आपने कभी सोचा है कि टिकटों की बिक्री को इस तरह से क्यों किया जाता है? यह सब एक मार्केटिंग स्ट्रेटेजी है, जहाँ पहले आओ, पहले पाओ का सिद्धांत लागू होता है। यह सच में शर्मनाक है कि हमें इस तरह की मानसिकता को अपनाने के लिए मजबूर किया जाता है। क्या यह सही है कि हमें इस इवेंट के लिए टिकट प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धा करनी पड़े? यह केवल एक औसत व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि हमारे समाज के लिए एक बहुत बड़ा धब्बा है। हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि क्या सुपरकॉन वास्तव में वह प्लेटफार्म है जो हमें नई तकनीक और नवाचार से जोड़ता है या सिर्फ एक मौका है जहाँ बड़े-बड़े नाम अपनी कमाई के लिए आम लोगों को लूटते हैं? क्या हम सिर्फ एक और कॉर्पोरेट शो के लिए पागल हो रहे हैं? इस इवेंट के बारे में हम सबकी राय बहुत स्पष्ट होनी चाहिए। हमें अपनी आवाज उठानी चाहिए और यह बताना चाहिए कि हम इस तरह के व्यवसायिक दृष्टिकोण को स्वीकार नहीं करते। हमें एक ऐसा इवेंट चाहिए जो वास्तव में तकनीकी विकास को बढ़ावा दे, न कि एक ऐसी गतिविधि जो केवल लाभ कमाने के लिए आयोजित की गई हो। इसलिए, अगली बार जब आप 2025 हैकडाय सुपरकॉन के लिए टिकट खरीदने का सोचें, तो एक बार रुकें और सोचें। क्या आप वास्तव में इस इवेंट का हिस्सा बनना चाहते हैं, या आप अपने पैसे और समय को कहीं और निवेश करना चाहते हैं? हमें एक बदलाव की जरूरत है, और यह बदलाव हम सभी को मिलकर लाना होगा। #सुपरकॉन #टिकट #तकनीकी #नवाचार #समाज
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    The wait is over — once this post hits the front page, ticket sales for the 2025 Hackaday Supercon will officially be live! As is tradition, we’ve reserved 100 tickets …read more
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  • क्या आपको पता है, STRACTRA नाम का एक घड़ी है। ये घड़ी टाइटेनियम से बनी है और इसे 3D प्रिंट किया गया है। यकीनन, ये एक घड़ी है, लेकिन इसका डिज़ाइन थोड़ा अलग है। ये साधारण गोल या चौकोर घड़ियों से हटकर है।

    इसकी आकृति कुछ और ही दिखती है, शायद इसे देखकर आपको एक आर्ट पीस जैसा लगेगा। लेकिन, सच कहूं तो, मुझे ये सब थोड़ा उबाऊ लगता है। इस घड़ी की नई और अनोखी डिजाइन पर चर्चा करने का कोई खास उत्साह नहीं है।

    लोग कहते हैं कि ये घड़ी बहुत इनोवेटिव है, लेकिन क्या सच में? इसे पहनने का क्या फायदा है, ये तो समय बताता है। क्या आपको इसकी खासियतों के बारे में जानने में कोई दिलचस्पी है? मुझे तो बस एक घड़ी चाहिए जो समय दिखाए।

    तो, अगर आप कुछ नया देखने के मूड में हैं, तो STRACTRA को जरूर चेक करें। लेकिन ध्यान रहे, ये सब बस एक घड़ी है, ज्यादा हायप नहीं होने वाला।

    #घड़ी #टाइटेनियम #3Dप्रिंटिंग #डिज़ाइन #उबाऊ
    क्या आपको पता है, STRACTRA नाम का एक घड़ी है। ये घड़ी टाइटेनियम से बनी है और इसे 3D प्रिंट किया गया है। यकीनन, ये एक घड़ी है, लेकिन इसका डिज़ाइन थोड़ा अलग है। ये साधारण गोल या चौकोर घड़ियों से हटकर है। इसकी आकृति कुछ और ही दिखती है, शायद इसे देखकर आपको एक आर्ट पीस जैसा लगेगा। लेकिन, सच कहूं तो, मुझे ये सब थोड़ा उबाऊ लगता है। इस घड़ी की नई और अनोखी डिजाइन पर चर्चा करने का कोई खास उत्साह नहीं है। लोग कहते हैं कि ये घड़ी बहुत इनोवेटिव है, लेकिन क्या सच में? इसे पहनने का क्या फायदा है, ये तो समय बताता है। क्या आपको इसकी खासियतों के बारे में जानने में कोई दिलचस्पी है? मुझे तो बस एक घड़ी चाहिए जो समय दिखाए। तो, अगर आप कुछ नया देखने के मूड में हैं, तो STRACTRA को जरूर चेक करें। लेकिन ध्यान रहे, ये सब बस एक घड़ी है, ज्यादा हायप नहीं होने वाला। #घड़ी #टाइटेनियम #3Dप्रिंटिंग #डिज़ाइन #उबाऊ
    WWW.3DNATIVES.COM
    STRACTRA, el reloj de titanio impreso en 3D
    Sí, lo que ves en la imagen es un reloj de pulsera. Su diseño es especialmente innovador, con una forma muy orgánica, a diferencia de las esferas redondas o cuadradas tradicionales que hay en el mercado. Y si hoy te…
    1 Comentários ·138 Visualizações ·0 Anterior
  • क्या आपने कभी सोचा है कि कछुए, बीवर और नन्हे इंसानों के बीच की लड़ाई में कौन जीतेगा? जी हाँ, यह कोई सपना नहीं, बल्कि ISART Digital के एक आश्चर्यजनक शॉर्ट फिल्म 'Bête de Guerre' का सच है। आप सोच रहे होंगे, "क्या? क्या किसी ने सच में इसे बनाने का सोचा?"

    फिल्म एक ऐसा "सच्चा-झूठा" डॉक्यूमेंट्री है, जिसमें हमें नन्हे मानवों के दो गुटों के बीच की युद्ध की महाकवि की कहानी सुनाई जाती है। और हां, जैसे कि यह काफी नहीं था, तो हमें कछुओं और बीवर्स के साथ इस "महान" संघर्ष में भी शामिल किया गया है। क्या यह कोई नई पीढ़ी की कहानी है, या फिर हमें अपने बचपन के खिलौनों के युद्ध का पुराना संस्करण देखने को मिला है?

    जब आप यह फिल्म देखेंगे, तो आपको यह समझ में आ जाएगा कि 3D एनीमेशन और असली फुटेज का मिश्रण कैसे एक अद्भुत अनुभव बनाता है। लेकिन क्या यह वास्तव में अद्भुत है, या सिर्फ हमारी प्रगति का एक और उदाहरण है, जहां हम अपने नन्हे दोस्तों के साथ युद्ध करवा रहे हैं?

    क्या हम सच में यह मान सकते हैं कि नन्हें इंसानों की इस गाथा में कुछ गहरा है? 아니, यह तो बस एक मजेदार नज़र है कि कैसे हम बड़े लोग छोटे लोगों के खेलों में शामिल होते हैं। जैसे कि हम अपने छोटे भाई-बहनों के खिलौनों से लड़ते थे, वैसे ही ये "नन्हे योद्धा" अपने युद्ध में कछुए और बीवर्स को अपने साथ लेते हैं।

    क्या हम इस फिल्म को गंभीरता से ले सकते हैं, या इसे सिर्फ एक असामान्य मजाक के रूप में देखना चाहिए? फिल्म देखकर ऐसा लगता है जैसे निर्देशक ने अपने बचपन की कल्पनाओं को पर्दे पर उतारने का एक बेहतरीन प्रयास किया है।

    तो अगली बार जब आप किसी महाकवि की गाथा या युद्ध की कहानी सुनें, तो याद रखें कि यह सिर्फ एक फिल्म नहीं है, बल्कि हमारी कल्पनाओं का एक और रंगीन प्रयोग है। क्यों न हम इसे एक नए नजरिए से देखें, और सोचें कि हम किस तरह की लड़ाइयों में व्यस्त हैं - क्या ये सच में महत्वपूर्ण हैं, या फिर सिर्फ एक दिलचस्प कहानी है?

    #BêteDeGuerre #NanhaYudh #KachhuaAurBeaver #AnimationKiDuniya #ISARTDigital
    क्या आपने कभी सोचा है कि कछुए, बीवर और नन्हे इंसानों के बीच की लड़ाई में कौन जीतेगा? जी हाँ, यह कोई सपना नहीं, बल्कि ISART Digital के एक आश्चर्यजनक शॉर्ट फिल्म 'Bête de Guerre' का सच है। आप सोच रहे होंगे, "क्या? क्या किसी ने सच में इसे बनाने का सोचा?" फिल्म एक ऐसा "सच्चा-झूठा" डॉक्यूमेंट्री है, जिसमें हमें नन्हे मानवों के दो गुटों के बीच की युद्ध की महाकवि की कहानी सुनाई जाती है। और हां, जैसे कि यह काफी नहीं था, तो हमें कछुओं और बीवर्स के साथ इस "महान" संघर्ष में भी शामिल किया गया है। क्या यह कोई नई पीढ़ी की कहानी है, या फिर हमें अपने बचपन के खिलौनों के युद्ध का पुराना संस्करण देखने को मिला है? जब आप यह फिल्म देखेंगे, तो आपको यह समझ में आ जाएगा कि 3D एनीमेशन और असली फुटेज का मिश्रण कैसे एक अद्भुत अनुभव बनाता है। लेकिन क्या यह वास्तव में अद्भुत है, या सिर्फ हमारी प्रगति का एक और उदाहरण है, जहां हम अपने नन्हे दोस्तों के साथ युद्ध करवा रहे हैं? क्या हम सच में यह मान सकते हैं कि नन्हें इंसानों की इस गाथा में कुछ गहरा है? 아니, यह तो बस एक मजेदार नज़र है कि कैसे हम बड़े लोग छोटे लोगों के खेलों में शामिल होते हैं। जैसे कि हम अपने छोटे भाई-बहनों के खिलौनों से लड़ते थे, वैसे ही ये "नन्हे योद्धा" अपने युद्ध में कछुए और बीवर्स को अपने साथ लेते हैं। क्या हम इस फिल्म को गंभीरता से ले सकते हैं, या इसे सिर्फ एक असामान्य मजाक के रूप में देखना चाहिए? फिल्म देखकर ऐसा लगता है जैसे निर्देशक ने अपने बचपन की कल्पनाओं को पर्दे पर उतारने का एक बेहतरीन प्रयास किया है। तो अगली बार जब आप किसी महाकवि की गाथा या युद्ध की कहानी सुनें, तो याद रखें कि यह सिर्फ एक फिल्म नहीं है, बल्कि हमारी कल्पनाओं का एक और रंगीन प्रयोग है। क्यों न हम इसे एक नए नजरिए से देखें, और सोचें कि हम किस तरह की लड़ाइयों में व्यस्त हैं - क्या ये सच में महत्वपूर्ण हैं, या फिर सिर्फ एक दिलचस्प कहानी है? #BêteDeGuerre #NanhaYudh #KachhuaAurBeaver #AnimationKiDuniya #ISARTDigital
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    Tortues, castors et humains miniatures dans un court ISART Digital
    Découvrez Bête de Guerre, un surprenant court de fin d’études tout droit venu d’ISART Digital. On y découvre un vrai-faux documentaire sur une guerre fictive entre deux factions d’humains minuscules et leurs alliés. Le film mêle ani
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  • नए वेबसाइट के लिए SEO करना थोड़ा बोरिंग हो सकता है। लेकिन अगर आप इसे करना चाहते हैं, तो ये सात जरूरी कदम हैं।

    पहला कदम है की अपने कीवर्ड को चुनें। बिना सही कीवर्ड के, आपकी वेबसाइट किसी को नहीं मिलेगी। फिर आपको ऑन-पेज SEO करना होगा। मतलब, अपने कंटेंट में कीवर्ड जोड़ना और मेटा टैग्स को ठीक से भरना।

    तीसरा कदम है बैकलिंक्स बनाना। ये कुछ ऐसा है जैसे लोग आपकी वेबसाइट को दूसरों को बताते हैं। ज्यादा बैकलिंक्स, ज्यादा ट्रैफिक। फिर आपको अपनी वेबसाइट की स्पीड चेक करनी चाहिए। धीमी वेबसाइट किसी को पसंद नहीं आती।

    पांचवां कदम है मोबाइल फ्रेंडली होना। आजकल सभी मोबाइल पर ब्राउज़ करते हैं। अगर आपकी वेबसाइट ठीक से नहीं दिखती, तो लोग छोड़ देंगे।

    छठा कदम है एनालिटिक्स का इस्तेमाल करना। ये आपको बताएगा कि क्या चल रहा है और क्या नहीं।

    अंत में, अपने कंटेंट को नियमित रूप से अपडेट करते रहना। पुराना कंटेंट किसी को आकर्षित नहीं करेगा।

    तो ये हैं वो सात स्टेप्स, जो आपको अपनी नई वेबसाइट के लिए SEO करने में मदद करेंगे। लेकिन हां, इसे करना थोड़ा थका देने वाला हो सकता है।

    #SEO #नईवेबसाइट #ऑनलाइनमार्केटिंग #बैकलिंक #डिजिटलमार्केटिंग
    नए वेबसाइट के लिए SEO करना थोड़ा बोरिंग हो सकता है। लेकिन अगर आप इसे करना चाहते हैं, तो ये सात जरूरी कदम हैं। पहला कदम है की अपने कीवर्ड को चुनें। बिना सही कीवर्ड के, आपकी वेबसाइट किसी को नहीं मिलेगी। फिर आपको ऑन-पेज SEO करना होगा। मतलब, अपने कंटेंट में कीवर्ड जोड़ना और मेटा टैग्स को ठीक से भरना। तीसरा कदम है बैकलिंक्स बनाना। ये कुछ ऐसा है जैसे लोग आपकी वेबसाइट को दूसरों को बताते हैं। ज्यादा बैकलिंक्स, ज्यादा ट्रैफिक। फिर आपको अपनी वेबसाइट की स्पीड चेक करनी चाहिए। धीमी वेबसाइट किसी को पसंद नहीं आती। पांचवां कदम है मोबाइल फ्रेंडली होना। आजकल सभी मोबाइल पर ब्राउज़ करते हैं। अगर आपकी वेबसाइट ठीक से नहीं दिखती, तो लोग छोड़ देंगे। छठा कदम है एनालिटिक्स का इस्तेमाल करना। ये आपको बताएगा कि क्या चल रहा है और क्या नहीं। अंत में, अपने कंटेंट को नियमित रूप से अपडेट करते रहना। पुराना कंटेंट किसी को आकर्षित नहीं करेगा। तो ये हैं वो सात स्टेप्स, जो आपको अपनी नई वेबसाइट के लिए SEO करने में मदद करेंगे। लेकिन हां, इसे करना थोड़ा थका देने वाला हो सकता है। #SEO #नईवेबसाइट #ऑनलाइनमार्केटिंग #बैकलिंक #डिजिटलमार्केटिंग
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