क्या हो रहा है, लोग? क्या आप सच में इस नए एनिमेशन फिल्म "लेजेंडरीज़" के बारे में सोचते हैं? एक बार फिर से हम वही पुरानी कहानी देख रहे हैं, जिसमें बच्चे एक महाकवि की तरह अपनी ग्रह को बचाने के लिए निकलते हैं। क्या हमें कुछ नया देखने का अधिकार नहीं है? क्या हम लगातार वही पुराने क्लिशे से बोर नहीं हो गए हैं?
"लेजेंडरीज़" का टीज़र देखकर ऐसा लगता है कि हम एक बार फिर से अपनी बचपन की यादों में खो जाएंगे, लेकिन क्या ये सच में वैसा ही होगा? गिलौम आइवर्नेल, जिन्होंने "चासर्स डे ड्रैगन्स" और "स्पाईसीज़" जैसे फिल्मों का निर्देशन किया है, अब हमें इस नई फिल्म में अपने "अवांट्यूरर्स" के साथ एक नई यात्रा पर ले जाने का दावा कर रहे हैं। लेकिन क्या हमें इस पर विश्वास करना चाहिए? क्या हमें उनके कामों की गुणवत्ता पर शक नहीं करना चाहिए?
और फिर, यह बात भी समझ में नहीं आती कि क्यों हमें हमेशा बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती कहानियाँ दी जाती हैं। क्या वयस्कों के लिए कोई कहानी नहीं है? क्या हमारे समाज में वास्तविकता की कोई कमी है कि हम बच्चों की परियों की कहानियों में ही खो जाएं? "लेजेंडरीज़" केवल एक और टेम्पलेट है, जो हमें उसी पुराने ढर्रे पर चलने के लिए मजबूर करता है।
क्या आप जानते हैं कि जब हम ऐसी फिल्मों को देखते हैं, तो हम अपने बच्चों को यह सिखा रहे हैं कि केवल साहसिकता और रोमांच ही जीवन का उद्देश्य है? क्या हमें अपने बच्चों को वास्तविकता से नहीं जोड़ना चाहिए, बल्कि उन्हें यह सिखाना चाहिए कि असली जीवन में संघर्ष, समस्याएँ और जिम्मेदारियाँ भी होती हैं?
एनिमेशन की दुनिया में और भी बहुत कुछ हो सकता है। क्यों नहीं हम ऐसी कहानियाँ सुनते, जो हमें सिखाती हैं, जो हमें प्रेरित करती हैं, और जो हमें वास्तविकता का सामना करने के लिए तैयार करती हैं? "लेजेंडरीज़" जैसे प्रोजेक्ट्स केवल हमें अपनी कल्पनाओं में खोए रहने के लिए मजबूर करते हैं, जबकि असली समस्याएँ हमारे सामने खड़ी होती हैं।
महानतम कथानकों की तलाश में, हम एक ऐसी फिल्म का इंतजार कर रहे हैं जो न केवल मनोरंजन करे, बल्कि हमारे सोचने के तरीके को भी चुनौती दे। "लेजेंडरीज़" की तरह की फिल्में केवल हमें वापस उसी पुरानी कहानी में धकेलने का काम करती हैं, जबकि हमें आगे बढ़ने की जरूरत है।
#लेजेंडरीज़ #एनिमेशन #फिल्म #सामाजिकसंदेश #कहानी
"लेजेंडरीज़" का टीज़र देखकर ऐसा लगता है कि हम एक बार फिर से अपनी बचपन की यादों में खो जाएंगे, लेकिन क्या ये सच में वैसा ही होगा? गिलौम आइवर्नेल, जिन्होंने "चासर्स डे ड्रैगन्स" और "स्पाईसीज़" जैसे फिल्मों का निर्देशन किया है, अब हमें इस नई फिल्म में अपने "अवांट्यूरर्स" के साथ एक नई यात्रा पर ले जाने का दावा कर रहे हैं। लेकिन क्या हमें इस पर विश्वास करना चाहिए? क्या हमें उनके कामों की गुणवत्ता पर शक नहीं करना चाहिए?
और फिर, यह बात भी समझ में नहीं आती कि क्यों हमें हमेशा बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती कहानियाँ दी जाती हैं। क्या वयस्कों के लिए कोई कहानी नहीं है? क्या हमारे समाज में वास्तविकता की कोई कमी है कि हम बच्चों की परियों की कहानियों में ही खो जाएं? "लेजेंडरीज़" केवल एक और टेम्पलेट है, जो हमें उसी पुराने ढर्रे पर चलने के लिए मजबूर करता है।
क्या आप जानते हैं कि जब हम ऐसी फिल्मों को देखते हैं, तो हम अपने बच्चों को यह सिखा रहे हैं कि केवल साहसिकता और रोमांच ही जीवन का उद्देश्य है? क्या हमें अपने बच्चों को वास्तविकता से नहीं जोड़ना चाहिए, बल्कि उन्हें यह सिखाना चाहिए कि असली जीवन में संघर्ष, समस्याएँ और जिम्मेदारियाँ भी होती हैं?
एनिमेशन की दुनिया में और भी बहुत कुछ हो सकता है। क्यों नहीं हम ऐसी कहानियाँ सुनते, जो हमें सिखाती हैं, जो हमें प्रेरित करती हैं, और जो हमें वास्तविकता का सामना करने के लिए तैयार करती हैं? "लेजेंडरीज़" जैसे प्रोजेक्ट्स केवल हमें अपनी कल्पनाओं में खोए रहने के लिए मजबूर करते हैं, जबकि असली समस्याएँ हमारे सामने खड़ी होती हैं।
महानतम कथानकों की तलाश में, हम एक ऐसी फिल्म का इंतजार कर रहे हैं जो न केवल मनोरंजन करे, बल्कि हमारे सोचने के तरीके को भी चुनौती दे। "लेजेंडरीज़" की तरह की फिल्में केवल हमें वापस उसी पुरानी कहानी में धकेलने का काम करती हैं, जबकि हमें आगे बढ़ने की जरूरत है।
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क्या हो रहा है, लोग? क्या आप सच में इस नए एनिमेशन फिल्म "लेजेंडरीज़" के बारे में सोचते हैं? एक बार फिर से हम वही पुरानी कहानी देख रहे हैं, जिसमें बच्चे एक महाकवि की तरह अपनी ग्रह को बचाने के लिए निकलते हैं। क्या हमें कुछ नया देखने का अधिकार नहीं है? क्या हम लगातार वही पुराने क्लिशे से बोर नहीं हो गए हैं?
"लेजेंडरीज़" का टीज़र देखकर ऐसा लगता है कि हम एक बार फिर से अपनी बचपन की यादों में खो जाएंगे, लेकिन क्या ये सच में वैसा ही होगा? गिलौम आइवर्नेल, जिन्होंने "चासर्स डे ड्रैगन्स" और "स्पाईसीज़" जैसे फिल्मों का निर्देशन किया है, अब हमें इस नई फिल्म में अपने "अवांट्यूरर्स" के साथ एक नई यात्रा पर ले जाने का दावा कर रहे हैं। लेकिन क्या हमें इस पर विश्वास करना चाहिए? क्या हमें उनके कामों की गुणवत्ता पर शक नहीं करना चाहिए?
और फिर, यह बात भी समझ में नहीं आती कि क्यों हमें हमेशा बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती कहानियाँ दी जाती हैं। क्या वयस्कों के लिए कोई कहानी नहीं है? क्या हमारे समाज में वास्तविकता की कोई कमी है कि हम बच्चों की परियों की कहानियों में ही खो जाएं? "लेजेंडरीज़" केवल एक और टेम्पलेट है, जो हमें उसी पुराने ढर्रे पर चलने के लिए मजबूर करता है।
क्या आप जानते हैं कि जब हम ऐसी फिल्मों को देखते हैं, तो हम अपने बच्चों को यह सिखा रहे हैं कि केवल साहसिकता और रोमांच ही जीवन का उद्देश्य है? क्या हमें अपने बच्चों को वास्तविकता से नहीं जोड़ना चाहिए, बल्कि उन्हें यह सिखाना चाहिए कि असली जीवन में संघर्ष, समस्याएँ और जिम्मेदारियाँ भी होती हैं?
एनिमेशन की दुनिया में और भी बहुत कुछ हो सकता है। क्यों नहीं हम ऐसी कहानियाँ सुनते, जो हमें सिखाती हैं, जो हमें प्रेरित करती हैं, और जो हमें वास्तविकता का सामना करने के लिए तैयार करती हैं? "लेजेंडरीज़" जैसे प्रोजेक्ट्स केवल हमें अपनी कल्पनाओं में खोए रहने के लिए मजबूर करते हैं, जबकि असली समस्याएँ हमारे सामने खड़ी होती हैं।
महानतम कथानकों की तलाश में, हम एक ऐसी फिल्म का इंतजार कर रहे हैं जो न केवल मनोरंजन करे, बल्कि हमारे सोचने के तरीके को भी चुनौती दे। "लेजेंडरीज़" की तरह की फिल्में केवल हमें वापस उसी पुरानी कहानी में धकेलने का काम करती हैं, जबकि हमें आगे बढ़ने की जरूरत है।
#लेजेंडरीज़ #एनिमेशन #फिल्म #सामाजिकसंदेश #कहानी
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