क्या आपने कभी सोचा है कि कछुए, बीवर और नन्हे इंसानों के बीच की लड़ाई में कौन जीतेगा? जी हाँ, यह कोई सपना नहीं, बल्कि ISART Digital के एक आश्चर्यजनक शॉर्ट फिल्म 'Bête de Guerre' का सच है। आप सोच रहे होंगे, "क्या? क्या किसी ने सच में इसे बनाने का सोचा?"
फिल्म एक ऐसा "सच्चा-झूठा" डॉक्यूमेंट्री है, जिसमें हमें नन्हे मानवों के दो गुटों के बीच की युद्ध की महाकवि की कहानी सुनाई जाती है। और हां, जैसे कि यह काफी नहीं था, तो हमें कछुओं और बीवर्स के साथ इस "महान" संघर्ष में भी शामिल किया गया है। क्या यह कोई नई पीढ़ी की कहानी है, या फिर हमें अपने बचपन के खिलौनों के युद्ध का पुराना संस्करण देखने को मिला है?
जब आप यह फिल्म देखेंगे, तो आपको यह समझ में आ जाएगा कि 3D एनीमेशन और असली फुटेज का मिश्रण कैसे एक अद्भुत अनुभव बनाता है। लेकिन क्या यह वास्तव में अद्भुत है, या सिर्फ हमारी प्रगति का एक और उदाहरण है, जहां हम अपने नन्हे दोस्तों के साथ युद्ध करवा रहे हैं?
क्या हम सच में यह मान सकते हैं कि नन्हें इंसानों की इस गाथा में कुछ गहरा है? 아니, यह तो बस एक मजेदार नज़र है कि कैसे हम बड़े लोग छोटे लोगों के खेलों में शामिल होते हैं। जैसे कि हम अपने छोटे भाई-बहनों के खिलौनों से लड़ते थे, वैसे ही ये "नन्हे योद्धा" अपने युद्ध में कछुए और बीवर्स को अपने साथ लेते हैं।
क्या हम इस फिल्म को गंभीरता से ले सकते हैं, या इसे सिर्फ एक असामान्य मजाक के रूप में देखना चाहिए? फिल्म देखकर ऐसा लगता है जैसे निर्देशक ने अपने बचपन की कल्पनाओं को पर्दे पर उतारने का एक बेहतरीन प्रयास किया है।
तो अगली बार जब आप किसी महाकवि की गाथा या युद्ध की कहानी सुनें, तो याद रखें कि यह सिर्फ एक फिल्म नहीं है, बल्कि हमारी कल्पनाओं का एक और रंगीन प्रयोग है। क्यों न हम इसे एक नए नजरिए से देखें, और सोचें कि हम किस तरह की लड़ाइयों में व्यस्त हैं - क्या ये सच में महत्वपूर्ण हैं, या फिर सिर्फ एक दिलचस्प कहानी है?
#BêteDeGuerre #NanhaYudh #KachhuaAurBeaver #AnimationKiDuniya #ISARTDigital
फिल्म एक ऐसा "सच्चा-झूठा" डॉक्यूमेंट्री है, जिसमें हमें नन्हे मानवों के दो गुटों के बीच की युद्ध की महाकवि की कहानी सुनाई जाती है। और हां, जैसे कि यह काफी नहीं था, तो हमें कछुओं और बीवर्स के साथ इस "महान" संघर्ष में भी शामिल किया गया है। क्या यह कोई नई पीढ़ी की कहानी है, या फिर हमें अपने बचपन के खिलौनों के युद्ध का पुराना संस्करण देखने को मिला है?
जब आप यह फिल्म देखेंगे, तो आपको यह समझ में आ जाएगा कि 3D एनीमेशन और असली फुटेज का मिश्रण कैसे एक अद्भुत अनुभव बनाता है। लेकिन क्या यह वास्तव में अद्भुत है, या सिर्फ हमारी प्रगति का एक और उदाहरण है, जहां हम अपने नन्हे दोस्तों के साथ युद्ध करवा रहे हैं?
क्या हम सच में यह मान सकते हैं कि नन्हें इंसानों की इस गाथा में कुछ गहरा है? 아니, यह तो बस एक मजेदार नज़र है कि कैसे हम बड़े लोग छोटे लोगों के खेलों में शामिल होते हैं। जैसे कि हम अपने छोटे भाई-बहनों के खिलौनों से लड़ते थे, वैसे ही ये "नन्हे योद्धा" अपने युद्ध में कछुए और बीवर्स को अपने साथ लेते हैं।
क्या हम इस फिल्म को गंभीरता से ले सकते हैं, या इसे सिर्फ एक असामान्य मजाक के रूप में देखना चाहिए? फिल्म देखकर ऐसा लगता है जैसे निर्देशक ने अपने बचपन की कल्पनाओं को पर्दे पर उतारने का एक बेहतरीन प्रयास किया है।
तो अगली बार जब आप किसी महाकवि की गाथा या युद्ध की कहानी सुनें, तो याद रखें कि यह सिर्फ एक फिल्म नहीं है, बल्कि हमारी कल्पनाओं का एक और रंगीन प्रयोग है। क्यों न हम इसे एक नए नजरिए से देखें, और सोचें कि हम किस तरह की लड़ाइयों में व्यस्त हैं - क्या ये सच में महत्वपूर्ण हैं, या फिर सिर्फ एक दिलचस्प कहानी है?
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क्या आपने कभी सोचा है कि कछुए, बीवर और नन्हे इंसानों के बीच की लड़ाई में कौन जीतेगा? जी हाँ, यह कोई सपना नहीं, बल्कि ISART Digital के एक आश्चर्यजनक शॉर्ट फिल्म 'Bête de Guerre' का सच है। आप सोच रहे होंगे, "क्या? क्या किसी ने सच में इसे बनाने का सोचा?"
फिल्म एक ऐसा "सच्चा-झूठा" डॉक्यूमेंट्री है, जिसमें हमें नन्हे मानवों के दो गुटों के बीच की युद्ध की महाकवि की कहानी सुनाई जाती है। और हां, जैसे कि यह काफी नहीं था, तो हमें कछुओं और बीवर्स के साथ इस "महान" संघर्ष में भी शामिल किया गया है। क्या यह कोई नई पीढ़ी की कहानी है, या फिर हमें अपने बचपन के खिलौनों के युद्ध का पुराना संस्करण देखने को मिला है?
जब आप यह फिल्म देखेंगे, तो आपको यह समझ में आ जाएगा कि 3D एनीमेशन और असली फुटेज का मिश्रण कैसे एक अद्भुत अनुभव बनाता है। लेकिन क्या यह वास्तव में अद्भुत है, या सिर्फ हमारी प्रगति का एक और उदाहरण है, जहां हम अपने नन्हे दोस्तों के साथ युद्ध करवा रहे हैं?
क्या हम सच में यह मान सकते हैं कि नन्हें इंसानों की इस गाथा में कुछ गहरा है? 아니, यह तो बस एक मजेदार नज़र है कि कैसे हम बड़े लोग छोटे लोगों के खेलों में शामिल होते हैं। जैसे कि हम अपने छोटे भाई-बहनों के खिलौनों से लड़ते थे, वैसे ही ये "नन्हे योद्धा" अपने युद्ध में कछुए और बीवर्स को अपने साथ लेते हैं।
क्या हम इस फिल्म को गंभीरता से ले सकते हैं, या इसे सिर्फ एक असामान्य मजाक के रूप में देखना चाहिए? फिल्म देखकर ऐसा लगता है जैसे निर्देशक ने अपने बचपन की कल्पनाओं को पर्दे पर उतारने का एक बेहतरीन प्रयास किया है।
तो अगली बार जब आप किसी महाकवि की गाथा या युद्ध की कहानी सुनें, तो याद रखें कि यह सिर्फ एक फिल्म नहीं है, बल्कि हमारी कल्पनाओं का एक और रंगीन प्रयोग है। क्यों न हम इसे एक नए नजरिए से देखें, और सोचें कि हम किस तरह की लड़ाइयों में व्यस्त हैं - क्या ये सच में महत्वपूर्ण हैं, या फिर सिर्फ एक दिलचस्प कहानी है?
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